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किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि बजट में 74.5 प्रतिशत की वृद्धि

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने लखनऊ, उत्तर प्रदेश में आयोजित “कृषि कुम्भ 2018” के उद्घाटन समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र से प्राप्त आय किसानों की आजीविका का प्रमुख स्रोत है। इसलिए मोदी सरकार आय केंद्रित बिंदु को ध्यान में रखते हुए कृषि क्षेत्र का पुनरुत्थान कर रही है। इसके तहत उच्च उत्पादकता सुनिश्चित करते हुए कृषि लागत में कमी करने और किसानों को उनके उत्पादों का पारिश्रमिक मूल्य दिलाए जाने संबंधी लक्ष्यों पर ध्यान देते हुए किसानों को कृषि क्षेत्र से अधिक आय दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 तक सही मायनों में किसानों की आय दोगुनी करने संबंधी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वर्ष 2009-2014 के लिए 121082 करोड़ रुपये के कृषि बजट की तुलना में वर्ष 2014-19 के दौरान बजट में 74.5 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए इसे 211694 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

श्री सिंह ने बताया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एसएचसी) उर्वरक का विवेकपूर्ण अनुप्रयोग सुनिश्चित करता है और इस प्रकार किसानों के धन की बचत करता है। यूरिया के उपयोग को नियमित करने हेतु फसल के लिए नाइट्रोजन की उपलब्धता बढ़ाने और उर्वरक अनुप्रयोग की लागत को कम करने के लिए नीम कोटेड यूरिया (एनसीयू) (सार्वभौमिक) को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके साथ ही देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) लागू की गयी है। इससे मृदा के स्वास्थ्य एवं जैविक सामग्री में सुधार होगा और प्रीमियम कीमतें प्राप्त करने से किसानों की निवल आय में वृद्धि होगी। देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में जैविक खेती की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए मिशन जैविक खेती- एमओवीसीडी (एनई) –। भी प्रारंभ की गयी है ।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय कृषि मंडी योजना (ई-नाम) बेहतर मूल्य सुनिश्चित करके कृषि बाजारों में व्यापक बदलाव लाने वाली एक अभिनव बाजार प्रक्रिया है, जिससे किसानों को 'एक राष्ट्र एक मंडी' की तरफ बढ़ने के लिए बेहतर पारिश्रमिक प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा आती है। ई-नाम पोर्टल द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़े और कृषि उत्पाद विपणन समितियों (एपीएमसी) के विनियमों से छूट प्राप्त ये जीआरएएम किसानों के लिए उपभोक्ताओं और थोक क्रेताओं को प्रत्यक्ष बिक्री करने की सुविधा प्रदान की जा रही है। इसके अलावा, किसानों की आय को प्रमुख रूप से बढ़ाने के मद्देनजर सरकार ने उत्पादन लागत के कम से कम 150 प्रतिशत के स्तर पर 2018-19 सीजन के लिए सभी खरीफ एवं रबी फसलों हेतु एमएसपी में वृद्धि अनुमोदित की है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्संरचित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूसीआईएस) के अंतर्गत विशिष्ट मामलों में फसल पश्चात जोखिमों सहित फसल चक्र के सभी चरणों में अत्यंत कम प्रीमियम दरों पर किसानों के लिए बीमा कवर उपलब्ध होने की व्यवस्था है। 3 लाख रुपये तक के अल्पावधि फसल ऋणों पर 5 प्रतिशत (3 प्रतिशत तत्काल पुनर्भुगतान प्रोत्साहन सहित) तक कुल ब्याज सब्सिडी की व्यवस्था है। इस प्रकार तत्काल पुनर्भुगतान पर 4 प्रतिशत वार्षिक की घटी हुई ब्याज दर पर किसानों के लिए ऋण उपलब्ध होता है।

अपने सम्बोधन के आखिर में कृषि मंत्री ने कहा कि अच्छी कार्यनीति, कार्यक्रमों के उचित कार्यान्वयन, पर्याप्त संसाधनों तथा सुशासन के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी की जा सकती है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस विचार-विमर्श के माध्यम से एक नया आयाम उभर कर सामने आएगा, जो माननीय प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य को वर्ष 2022 तक प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा।

Source: http://pib.nic.in



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