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मंत्रिमंडल ने पुर्नगठित राष्ट्रीय बांस मिशन को स्वीकृति दी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आज 14वें वित्त आयोग (2018-19 तथा 2019-20) की शेष अवधि के दौरान सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए) के अंतर्गत केन्द्र प्रायोजित राष्ट्रीय बांस मिशन (एनबीएम) को स्वीकृति दे दी है। मिशन सम्पूर्ण मूल्य श्रृंखला बनाकर और उत्पादकों (किसानों) का उद्योग के साथ कारगर संपर्क स्थापित करके बांस क्षेत्र का सम्पूर्ण विकास सुनिश्चित करेगा।

मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने एनबीएम के दिशा-निर्देशों को तैयार करने तथा दिशा-निर्देशों में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की स्वीकृति के साथ राज्यों की विशेष सिफारिशों के अनुसार समय-समय पर उठाए गए कदमों के लिए लागत के तौर-तरीकों सहित अन्य परिवर्तन करने के लिए कार्यकारी समिति को शक्तियां प्रदान करने को भी अपनी मंजूरी दे दी।

व्ययः
14वें वित्त आयोग (2018-19 तथा 2019-20) की शेष अवधि के दौरान मिशन लागू करने के लिए 1290 करोड़ रुपये का (केन्द्रीय हिस्से के रूप में 950 करोड़ रुपये के साथ) प्रावधान किया गया है।

लाभार्थीः
इस योजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानों, स्थानीय दस्तकारों और बांस क्षेत्र में काम कर रहे अन्य लोगों को लाभ होगा। पौधरोपण के अंतर्गत लगभग एक लाख हेक्टेयर क्षेत्र को लाने का प्रस्ताव किया गया है। इसलिए यह आशा की जाती है कि पौधरोपण को लेकर प्रत्यक्ष रूप से लगभग एक लाख किसान लाभान्वित होंगे।

कवर किए गए राज्य/जिलेः
मिशन उन सीमित राज्यों में जहां बांस के सामाजिक, वाणिज्यिक और आर्थिक लाभ हैं वहां बांस के विकास पर फोकस करेगा, विशेषकर पूर्वोत्तर क्षेत्र में और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओड़िशा, कर्नाटक, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रेदश, तेलंगाना, गुजरात, तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में। आशा है कि यह मिशन 4,000 शोधन/उत्पाद विकास इकाईयां स्थापित करेगा और 1,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र पौधरोपण के अंतर्गत लाएगा।

प्रभावः
बांस पौधरोपण से कृषि उत्पादकता और आय बढ़ेगी और परिणामस्वरूप भूमिहीनों सहित छोटे और मझौले किसानों तथा महिलाओं की आजीविका अवसर में वृद्धि होगी और उद्योग को गुणवत्ता सम्पन्न सामग्री मिलेगी। इस तरह यह मिशन न केवल किसानों की आय बढ़ाने के लिए संभावित उपाय के रूप में काम करेगा, बल्कि जलवायु को सुदृढ़ बनाने और पर्यावरण लाभों में भी योगदान करेगा। मिशन कुशल और अकुशल दोनों क्षेत्र में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन में सहायक होगा।

Source: http://pib.nic.in



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