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नेफेड की बैंक गारंटी बढ़ाकर 42 हजार करोड़ रुपये की गई

किसानों से दलहन, तिलहन और प्याज की उपज की खरीद करने वाली संस्था भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ मर्यादित (नेफेड) ने वर्ष 2017-18 में 31.91 लाख मीट्रिक टन दलहन तथा तिलहन की खरीद की है। इससे 20 लाख से भी ज्यादा किसानों को सीधा लाभ मिला है। किसानों के बैंक खातों में पैसे का सीधा हस्तांतरण हुआ है। इससे खरीद की व्यवस्था औऱ सुदृढ़ हुई है। नेफेड के व्यावसायिक आंकड़ों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है और संकेत बता रहे हैं कि मौजूदा वित्त वर्ष 2018-19 में भी नेफेड रिकॉर्ड लाभ अर्जित करने की दिशा में अग्रसर है।

नेफेड भारी अनियमितताओं के कारण वित्तीय संकट में फंसकर बंद होने के कगार पर पहुंच गया था। नेफेड ने पिछली चार वर्षों (2011-14) में किसानों से महज आठ लाख मीट्रिक टन दलहन एवं तिलहन की खरीद की थी। वहीं, इसमें 2014-18 के दौरान गुणात्मक तौर पर आश्चर्यजनक वृद्धि हुई। सरकार के कुशल नेतृत्व में किसानों से इन चार वर्षों में समर्थन मूल्य पर 64 लाख मीट्रिक टन दलहन व तिलहन की खरीद की गई।

किसानों को मुसीबत से उबारने के लिेए उपज की खरीद के लिए बनी नेफेड को बचाना केंद्र सरकार को अत्यंत महत्वपूर्ण प्रतीत हुआ, ताकि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों की उपज की खरीद सुनिश्चित की जा सके। इसके लिए प्रधानमंत्री के परामर्श पर त्वरित प्रभाव से नेफेड की बैंक गारंटी को बढ़ाकर 42 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया। यह बैंक गारंटी संप्रग सरकार के समय महज 200-250 करोड़ रुपये थी।

नेफेड में सुधार के उपायों के हैरतअंगेज नतीजे सामने आए। जो नेफेड 2011-13 के मध्य तीन फसल सीजन में कोई फसल खरीद नहीं सका था वह अब खरीद का रिकॉर्ड बना रहा है। इसके लिए पिछली सरकार के समय समर्थन मूल्य योजना में पूर्ण क्षति की प्रतिपूर्ति के बजाय मात्र 15 प्रतिशत क्षतिपूर्ति की व्यवस्था को खत्म कर दिया गया। नेफेड को समुचित बैंक गारंटी मुहैया कराने के परिणामस्वरूप किसानों से रिकॉर्ड खरीद संभव हो सकी। वित्तीय अनुशासन और सुधार के नतीजों को परिलक्षित करते हुए नेफेड ने अपनी कमाई से बैंकों को 220 करोड़ रुपये की नकद अदायगी की है।

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री राधामोहन सिंह ने इसके लिए नेफेड से किसानों की उपज की खरीद के रिकॉर्ड बनाते रहने की अपेक्षा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि नेफेड की हालत में सुधार के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है, ताकि किसानों को निराश होने से बचाया जा सके।

Source: http://pib.nic.in/



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