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राष्ट्रीय अरंडी किसान मेला - 2017

भाकृअनुप - भारतीय तिलहन संस्थान, राजेन्द्र नगर, हैदराबाद द्वारा राष्ट्रीय तिलहन व ताड़तेल मिशन (एनएमओओपी), कृषि एवं सहकारिता विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय अरंडी किसान मेला – 2017 का आयोजन 24 फरवरी, 2017 को किया गया।

इस मेले का उद्देश्य अरंडी के सभी हितधारकों को एक मंच पर साथ लाना था। कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के अरंडी किसानों ने 1000 से अधिक की संख्या में भाग लिया। विश्व के कुल अरंडी उत्पादन का 89 प्रतिशत (19.48 लाख टन) है। भारत विश्व में सबसे अधिक अरंडी का उत्पादन करता है | वर्ष 2014-15 में 11.05 लाख हैक्टर श्रेत्र में 1,568 कि.ग्रा. प्रति हैक्टर की औसत दर से उत्पादन प्राप्त हुआ। मेले के दौरान किसान गोष्ठी (वैज्ञानिक-किसान संवाद), प्रदर्शनी, नवोन्मेषी किसानों का सम्मान तथा किसानों के लिए प्रकाशनों (हिन्दी/क्षेत्रीय भाषा) का वितरण का आयोजन किया गया। मेले का मुख्य आकर्षण देश के सभी अरंडी उत्पादक क्षेत्रों के लिए संकर तथा किस्मों की सजीव प्रदर्शनी थी।

डॉ. ए. विष्णुवर्धन रेड्डी, निदेशक, आईसीएआर-आईआईओआर, हैदराबाद ने अपने संबोधन में संभावनाओं और समस्याओं के साथ-साथ भारत में अरंडी के परिदृश्य पर भी प्रकाश डाला। इसके साथ ही उन्होंने नए विकसित अरंडी संकर (डीसीएच-519, जीसीएच-7, पीसीएच-111, वाईआरसीएच -1, डीसीएच-177), नवीनतम तकनीकों जैसे, ड्रिप सिंचाई, उन्नत प्रबंधन क्रियाओं और संस्थान द्वारा जारी नई विस्तार गतिविधियों के बारे में जानकारी दी जो निकट भविष्य में किसानों की आय दोगुनी करने में योगदान देंगी।

"अरंडी कम वर्षा और कम मिट्टी की उर्वरता की स्थिति में भी एक आदर्श फसल है।," श्रीमती ऊषा रानी, महानिदेशक, मैनेज, हैदराबाद व कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा | उन्होंने कहा कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य, बाजार संरक्षण, ड्रिप सिंचाई आदि को अपनाने के लिए सब्सिडी सहित प्रोत्साहन मूल्य उन्मुख पहल के माध्यम से अरंडी किसानों को सहयोग करना चाहिए।

डॉ. वी. प्रवीण राव, कुलपति, प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय, हैदराबाद ने अपने अध्यक्षीय भाषण में अरंडी किसानों को सुझाव दिया कि वे व्यापारिक दृष्टि से खेती करें तथा उचित तरीके से कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रयोग करें। उन्होंने सुझाव दिया कि अरंडी के समान अन्य फसलों की लागत संभावना विश्लेषण में संस्थानिक हस्तक्षेप होना चाहिए। डॉ. अनुपम बारिक, अतिरिक्त उपायुक्त, कृषि एवं सहकारिता विभाग, भारत सरकार ने अपने संबोधन में मेले में किसानों की व्यापक सहभागिता और सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों द्वारा प्रदर्शनी की सराहना की। डॉ. वाई.जी. प्रसाद, निदेशक, अटारी, (क्षेत्र- 5), हैदराबाद ने अपने संबोधन में किसानों से आग्रह किया कि वे खेती में अतिरिक्त आय के लिए ड्रिप सिंचाई के माध्यम से रबी में अरंडी की खेती करें।

Source:http://www.icar.org.in/

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