राज्य शासन द्वारा प्रदेश के किसानों को कृषि उपज का उचित मूल्य प्रदान करने के लिये भावान्तर भुगतान योजना प्रारम्भ की गई है | यह योजना खरीफ-2017 से लागू की गई है। योजना का लाभ केवल मध्य प्रदेश के किसानों को उनके द्वारा उत्पादित कृषि उपज पर प्रदेश की अधिसूचित कृषि उपज मंडी समिति के प्रांगण में विक्रय (राज्य शासन द्वारा घोषित की गई अवधि में) किये जाने पर चयनित फसलों के लिये उत्पादकता की निश्चित सीमा तक विक्रय की गई फसल पर देय होगा।
भावान्तर योजना इन फसलों पर लागू होगी :
भावान्तर भुगतान योजना तिलहन फसलों, जिनमें सोयाबीन, मूंगफली, तिल, रामतिल शामिल हैं, पर 16 अक्टूबर से 15 दिसम्बर तक लागू होगी। मक्का, मूंग व उड़द के लिये 16 अक्टूबर से 15 दिसम्बर तक तथा तुअर के लिये एक फरवरी से 30 अप्रैल 2018 तक लागू रहेगी। प्रत्येक किसान को पंजीयन के उपरान्त पंजीयन क्रमांक दिया जायेगा। एसएमएस के माध्यम से भी पंजीकृत किसान को मोबाइल पर सूचना दी जायेगी। योजना का लाभ लेने के लिये मध्य प्रदेश का मूल निवासी होना आवश्यक है। साथ ही किसान इस योजना का लाभ तभी ले सकेगा, जब अधिसूचित मंडी परिसर में वह निर्धारित अवधि में ही वह अपनी उपज का विक्रय करेगा।
भावान्तर भुगतान योजना के पोर्टल पर कृषक द्वारा पंजीयन कराये जाने के बाद कृषकवार जानकारी राजस्व विभाग को प्राप्त होगी और राजस्व विभाग के अधिकारी कितनी भूमि पर कौन-सी फसल बोई गई है, इसका सत्यापन करेंगे। कृषक को मंडी में अपनी उपज बेचने के समय कृषि उपज मंडी समिति को भावान्तर भुगतान योजना के पंजीयन क्रमांक को नोट कराना होगा। भावान्तर भुगतान योजना की अवधि समाप्त होने पर आगे की प्रक्रिया अपनाकर किसानों के बैंक खातों में अन्तर की राशि मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ अथवा मध्य प्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा भुगतान किया जायेगा।
देय राशि की गणना इस प्रकार होगी :
भावान्तर भुगतान योजना के अन्तर्गत किसानों को देय राशि की गणना करते समय इन बातों का ध्यान रखा जायेगा-
1.यदि किसान द्वारा मंडी समिति परिसर में विक्रय की गई अधिसूचित फसल की विक्रय दर न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक या उसके बराबर हुई तो योजना का लाभ नहीं दिया जायेगा,
2.यदि किसान द्वारा कृषि उपज मंडी समिति परिसर में विक्रय की गई अधिसूचित फसल की विक्रय दर न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम किन्तु राज्य शासन द्वारा घोषित मंडियों की मॉडल विक्रय दर से अधिक हुई तो न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा किसान द्वारा विक्रय मूल्य के अन्तर की राशि किसान के खाते में अन्तरित की जायेगी। साथ ही यदि विक्रीत की गई अधिसूचित फसल की विक्रय दर राज्य शासन द्वारा घोषित मंडियों की मॉडल विक्रय दर से कम हुई तो न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा मंडियों के मॉडल विक्रय दर के अन्तर की राशि उनके खाते में अन्तरित की जायेगी। यदि किसी फसल के उत्पाद के मॉडल विक्रय दर का औसत यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर रहे तो उक्त फसल उत्पाद के लिये भावान्तर भुगतान योजना लागू नहीं मानी जायेगी।
Source: http://www.dprmp.org