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2015-16 के दौरान 60 लाख मृदा नमूना का परीक्षण किया गया ।

स्वाइल हेल्थ कार्ड (एसएटसी) योजना सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। इसका मकसद उचित मृदा जांच को बढ़ावा देना है ताकि मिट्टी की उत्पादकता के बारे में पता लगाया जा सके। इससे किसान कम लागत पर उच्च उत्पादन हर हासिल कर सकेंगे। इसके साथ ही, मिट्टी के स्वास्थ्य में निरंतरता कायम किया जा सकता है। इससे पहले किसानों को मृदा हेल्थ कार्ड मुहैया कराया गया है। राज्यों की स्टैटिक टेस्टिंग लेबोरेट्रिज (एसएसटीएलएस) एवं मोबाइल स्वॉइल टेस्टिंग लेबोरेट्रिज(एमएसटीएल) के जरिये मदद कर रही है। मृदा स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए सरकार ने 2014-15 में स्वाइल हेल्थ कार्ड स्कीम की शुरुआत की थी। योजना के तहत दो साल के अंतराल पर किसानों को 14 करोड़ रुपये मुहैया कराए जाते हैं। सूक्ष्म पोषक तत्वों सहित 12 मापदंडों के लिए मिट्टी के नमूने की व्यापक परीक्षण योजना के तहत किया जा रहा है। योजना के पहले चक्र 568.54 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 2 साल(2015-16 और 2016-17) में पूरा हो जाएगा।

वर्ष 2015-16 के दौरान 104 लाख मृदा नमूनों को एकत्रित करने का लक्ष्य है और किसानों के लिए स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना के तहत उनका परीक्षण किया जाना है। आंध्र प्रदेश, केरल, मेघालय, नगालैंड, तेलंगाना, सिक्किम, गुजरात, त्रिपुरा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पंजाब, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में 90 फीसदी नमूने एकत्रित कर लिए गए हैं।

एकत्रित किए गए 90 फीसदी नमूनों में से अब तक 60 फीसदी नमूनों का परीक्षण भी कर लिया गया है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, मेघालय, सिक्किम, तमिलाडु, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और केरल में 100 फीसदी में से 75 फीसदी मृदा परीक्षण का विश्लेषण भी कर लिया गया है। बिहार, झारखंड, ओडिशा, उत्तराखंड, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, जम्मू कश्मीर, मिजोरम, हरियाणा, मणिपुर, असम, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य इस मामले में अभी पीछे चल रहे हैं।

वर्ष 2016-17 में, अतिरिक्त 360 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं का सूक्ष्म पोषक तत्वों का परीक्षण करने के परिचालन किया जाएगा। इससे 2.14 करोड़ रुपये से 1.78 करोड़ तक राज्य प्रयोगशालाओं की वार्षिक विश्लेषण क्षमता में वृद्धि होगी।

नाबार्ड (एनएबीआरडी) के तहत कैपिटल इनवेस्टमेंट सब्सिडी स्कीम (सीआईएसएस) के तहत मृदा परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना करने के साथ ही छोटी प्रयोगशालाएं स्थापित करने को लेकर योजना में दिशानिर्देश उल्लेखित हैं। अन्य साइंस कॉलेजों के साथ कृषि के छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित और बेहतर बनाया जाएगा।

राज्य अभी तर 1.47 करोड़ कार्डों को वितरत कर चुके हैं जबकि 1.53 करोड़ कार्डों को छपने के लिए भेजा गया है। 30 लाख नमूनों के विश्लेषण का काम जारी है और उन्हें पूरा कर लिया जाएगा जबकि 150 लाख कार्ड अभी प्रिंट होने बाकी हैं। वर्ष 2015-16 में कुल 450 लाख कार्ड किसानों को वितरित किया जाएगा।

Source:http://pib.nic.in/