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कृषि मंत्रालय ने प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर को महिला किसान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है।

केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि महिलाओं तक वित्तीय सहायता पहुंचाने के लिए यह जरूरी है कि देश में महिला सहकारिता को मजबूत बनाया जाए। श्री सिंह ने कहा कि महिला सहकारिता में प्रगति और सफलता की अपार संभावनाएं मौजूद हैं और यदि सफलता जारी रहती है तो सफल महिला सहकारिताओं से अधिक से अधिक महिलाओं को लाभ होगा।

केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह बात आज नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा ‘महिला सहकारिताओं का सुदृढ़ीकरण’ पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कही। कार्यशाला में सहकारिता से जुड़ी देश भर से आईं करीब 200 महिलाओं ने हिस्सा लिया और परस्पर बातचीत से महिला सहकारिता की विभिन्न योजनाओं के बारे में एक दूसरे को बताया। श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि भारत की 1.2 अरब की जनसंख्या की लगभग 70 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। महिलाएं फसल बुआई से लेकर फसल कटाई तथा इसके बाद की गतिविधियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। श्री सिंह ने कहा कि देश की लगभग 8 लाख सहकारिताओं में केवल महिलाओं द्वारा संचालित मात्र 20,014 सहकारिताएं कार्यरत हैं।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय अपनी सभी योजनाओं और कार्यक्रमों में महिलाओं की भागेदारी सुनिश्चित करता है और 30 प्रतिशत फंड महिला किसानों के लिए रखता है। राज्यों और कार्यान्वयन एजेंसियों को महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए वर्ष 2013-14 से मौजूदा केन्द्रीय प्रायोजित/केन्द्रीय सेक्टर योजनाओं के तहत महिलाओं के स्वामित्व वाले पशुधन के लिए निधि का 10 से 20 प्रतिशत उपयोग करने की सलाह दी गयी है। इसके अलावा देश भर में स्थापित 668 कृषि विज्ञान केन्द्रों में एक – एक महिला वैज्ञानिक की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गयी है।

3.1 लाख कृषिरत महिलाओं को देशभर में कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा वर्ष 2016-17 के दौरान प्रशिक्षण दिया गया है। इसके अलावा कृषिरत महिलाओं की कृषि विज्ञान केन्द्रों के विभिन्न कार्यक्रमों जैसे कि अग्रपंक्ति प्रदर्शन तथा कृषि प्रसार के विभिन्न कार्यक्रमों में सहभागिता सुनिश्चित की गयी है। अब केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हर वर्ष 15 अक्तूबर को महिला किसान दिवस मनाने का फैसला लिया है।

कृषिरत महिलाओं पर जेंडर नॉलेज पोर्टल विकसित किया गया है जिसमें किसान महिलाओं से संबंधित सूचना और आंकड़े दर्शाये गये हैं। इसके अलावा महिलाएं सम्बद्ध मात्स्यिकी क्रियाकलापों, जैसे मत्स्य बीज एकत्र करना, छोटी मछली पकड़ना, मुसेल, खाने योग्य ऑएस्टर, समुद्री अपतृण एकत्र करना, मत्स्य विपणन, मत्स्य प्रसंस्करण और उत्पाद विकास इत्यादि से सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। मात्स्यिकी क्षेत्र में उनकी हिस्सेदारी और भागीदारिता को और बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण तथा माइक्रो वित्त दिया जाता है ताकि उन्हें प्रोत्साहित करके समूह में संगठित करके उनकी क्षमता का निर्माण किया जा सके।

श्री सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) का उद्देश्य विशेष रूप से सहकारी संस्थाओं को कृषि उपज के उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन, भंडारण, निर्यात तथा आयात इत्यदि के लिए धन मुहैया कराना है। एनसीडीसी, महिला सहकारिताओं को अपने कमजोर वर्गों के कार्यक्रम के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्रदान करता है। एनसीडीसी, महिला सहकारिताओं के कार्यक्रमों के लिए 50 लाख रूपये तक एवं उससे ऊपर की परियोजनाओं के लिए क्रमश: 0.50 प्रतिशत एवं 0.25 प्रतिशत कम वार्षिक ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराता है। इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा कृषिरत महिलाओं के लिए केन्द्रीय कृषिरत महिला संस्थान, भुवनेश्वर स्थापित किया गया है। यह वर्ष अप्रैल 1996 से कार्यरत है। विश्व में कृषि से जुड़ी महिलाओं के लिए यह पहला और अकेला संस्थान है।

Source:http://www.pib.nic.in

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